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ब्रेस्ट मिल्क बढ़ाने के प्राकृतिक तरीके

अगर आप नई माँ हैं और ब्रेस्ट मिल्क की मात्रा बढ़ाने के प्राकृतिक तरीके ढूंढ रही हैं, तो यह ब्लॉग पोस्ट “ब्रेस्ट मिल्क बढ़ाने के प्राकृतिक तरीके” आपके काम की है। कई बार नई माताओं को अपने शिशु को स्तनपान करवाते समय दूध की कमी का सामना करना पड़ता है जिससे वे बहुत घबरा जाती है। लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है क्योकि सही आहार और जीवनशैली में कुछ बदलाव करके ब्रेस्ट मिल्क को बढ़ाया जा सकता है। इस ब्लॉग पोस्ट “ब्रेस्ट मिल्क बढ़ाने के प्राकृतिक तरीके” में हमने ब्रेस्ट मिल्क बढ़ाने के लिए कुछ बेहतरीन घरेलू नुस्खे और पोषक आहारों के बारे में बताया है जिसे अपनाने से आपको फायदा मिलेगा।

माँ का दूध शिशु के लिए बहुत जरूरी होता है। माँ का दूध शिशु को कई बीमारीयो से बचाने में अहम भूमिका निभाता है कहा जाता है जो शिशु अपनी माँ का दूध अच्छे से पीता है उसे डॉक्टर की जरूरत नहीं पड़ती है। कई बार कुछ कारणों से माँ के दूध कम बनता है जिससे बच्चा भूखा रह जाता है इसलिए आप इस ब्लॉग पोस्ट को अवश्य पढ़े और अपने खान पान और कुछ जीवनशैली में बदलाव करके अपने शिशु के लिए ब्रेस्ट मिल्क की कमी को पूरा करे। अपने लिए ना सही पर अपने शिशु के लिए इस पोस्ट को अवश्य पढ़े और अपनी राय अवश्य दे।Tips to increase breast milk

ब्रेस्ट मिल्क बढ़ाने के प्राकृतिक तरीके

  1. माँ को अपने खान पान में फैट डाइट की बजाए ऐसी डाइट पर ध्यान देना चाहिए जिसमें प्रोटीन, फाइबर, कार्बोहायड्रेट, विटेमिन्स, मिनरल्स और पानी हो
  2. मेथी दाने का पानी पीना, सौंफ का पानी या सीधे सौंफ खाने से भी माँ को दूध अच्छे से बनने में मदद मिलती है
  3. दूध का दलिआ खाए 
  4. हरी सब्जियाँ खाए 
  5. लिक्विड / पानी अच्छे से पिए जो माँ अच्छे से लिक्विड लेती है उनके दूध अच्छे से बनता है 
  6. ब्रेस्ट मसाज भी दूध बनने में मदद करता है Breast massage helps in milk production.
  7. बच्चे को दोनों ब्रेस्ट से दूध पिलाना चाहिए यह भी जरूरी है
  8. स्तनपान कराने वाली माताओं को भोजन में अदरक का सेवन करना चाहिए या हर्बल अदरक की चाय का सेवन अच्छा होता है। 
  9. ड्राई फ्रूट्स और साबुत अनाज (स्प्राउट्स) का सेवन करना स्तनपान कराने वाली माओ के लिए बहुत लाभदायक होता है इससे अधिक दूध बनता है।
  10. तिल में जिंक की मात्रा अधिक होती है, जो स्मृति ग्रंथियों में लाभ पहुँचाता है और प्रोलैक्टिन (दूध बनाना) को जारी रखने में मदद करता है जिसके परिणामस्वरूप दूध का उत्पादन अधिक होता है।
  11. मेथी या पालक, प्याज, टमाटर, लहसुन, उबली हुई दाल का पानी, नमक, काली मिर्च का पाउडर इन सबको मिलाकर सूप बनाए और पिए यह सूप न केवल स्तन के दूध को बढ़ाता है बल्कि पाचन तंत्र को भी सुधारता है इसके सेवन से आपको भरपूर पोषण मिलेगा । 
    1. मेथी हार्मोनल परिवर्तनों को उत्तेजित करती है जो पाचन में मदद करके दूध की आपूर्ति को बढ़ाते है।
    2. लहसुन भी पाचन में मदद करके दूध के उत्पादन को बढ़ाता है। यह एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है।

ब्रैस्ट मिल्क बढ़ाने के लिए माँ को अपने भोजन में इस प्रकार का खाना और चीजे शामिल करनी चाहिए जैसे :-

  • सब्जी का दलिया
  • जई का दलिया
  • सब्जी का सूप 
  • दाल का सूप
  • मूंग का सूप
  • घी चावल और गेहूं की रोटी या विभिन्न प्रकार की रोटी  
  • दूध
  • तिल
  • रागी 
  • बाजरा 
  • दही और पनीर जैसे कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ आदि

फलों में

  • पपीता 
  • एवोकैडो
  • केला
  • ब्लूबेरी
  • रॉकमेलन 
  • चिक्कू
  • आम
  • अनार
  • नारियल के टुकड़े
  • अखरोट 
  • बादाम आदि 

आपको स्वस्थ रहने के लिए और ब्रेस्ट मिल्क को बढ़ाने के लिए नियमित रूप से इनका सेवन करना चाहिए।

 

ध्यान रहे कि 

यदि आपको किसी भी चीज़ से एलर्जी हो तो उसका सेवन ना करे। आप अपने बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य के लिए दूध की सही मात्रा और अच्छी गुणवत्ता सुनिश्चित कर सकते हैं। बस अपना प्रयास करें और आप देखेंगे कि आप अपने बच्चे को एक वर्ष तक बहुत अच्छी तरह से दूध पिलाने में सक्षम होंगी। 

जिन माओ को किसी प्रकार की मानसिक परेशानी होगी या किसी ना किसी चीज़ को लेकर वो परेशान होंगी उन्हे दूध कम बनने की परेशानी का सामना करना पड़ सकता है इसलिए हमेशा खुश, सकारात्मक रहे और मानसिक परेशानी से दूर रहे।

ऐसी चीजों से दूर रहे

  1. जब तक माँ ब्रेस्ट फीडिंगavoid drinking alcohol and smoking करवाती है (1 से 2 साल तक) तब तक एलकोहॉल और स्मोकिंग से दूर रहना चाहिए।
  2. चाय और कॉफी का सेवन कम कर देना चाहिए। 
  3. प्याज, पत्ता गोबी जैसी चीजे कम खानी चाहिए इससे बच्चे को गैस की दिक्कत हो सकती है।  
  4. कोई भी एंटीबायोटिक लेने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लेनी चाहिए।

नवजात शिशु और माँ के दूध से सम्बंधित कुछ सवाल जवाब

प्रकृति ने सब कुछ बहुत सोच समझ कर बनाया है उसी में है इंसानी माँ (स्त्री) जो बच्चे को जन्म देती है और बच्चे का पेट भी अपने दूध के माध्यम से भरने में सक्षम है, इसी प्रकार गाय, भैस, बकरी आदि जो अपने शिशु का पेट भरने में सक्षम है। गाय का दूध अपने बछड़े के लिए और इंसानी माँ (स्त्री) का दूध अपने बच्चे के लिए सर्वोत्तम होता है। जानवरो के दूध में उनके बच्चे को जो विटामिन्स, मिनरल्स चाहिए वो उनके हिसाब से होते है और इंसानी माँ के दूध में उसके बच्चे के विकास के लिए जो जरूरी विटामिन्स, मिनरल्स, एंटीबॉडीज की आवश्यकता है वो होती है कहने का मतलब ये है की इंसानी बच्चे और जानवरो के बच्चो को उनके शरीर के हिसाब से, उनकी जरूरत के हिसाब से जो भी उनके शरीर को ग्रो करने के लिए जरूरत है वो उनकी माँ के दूध में होता है इसलिए सइंटिफीक्ली अगर बात करे तो गाय का दूध एक इन्सान के बच्चे के लिए अच्छा नहीं मानते है जबकि गाय के दूध को इंसानी माँ (स्त्री) के दूध के बराबर माना जाता है इसलिए हर इंसानी माँ (स्त्री) को अपना ही दूध अपने बच्चे को पिलाना चाहिए ताकि शिशु का विकास, उसके मस्तिष्क का विकास अच्छे से हो सके। ऐसी कोई माँ नहीं है जो अपने बच्चे को दूध ना पीला सके चाहे वो बीमार ही क्यों ना हो बस कुछ बीमारियों के अलावा जैसे कैंसर

माँ का दूध कुछ ही मिनटों में (लगभग एक घंटे में) शिशु को दिया जाना चाहिए चाहे बच्चा नार्मल हो या सिजेरियन से इसे “गोल्डन ऑवर फीडिंग” कहा जाता है  इससे बच्चे की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है इसलिए माँ के दूध को इतना अच्छा माना जाता है। 

रात के समय मायें पानी का सेवन कम करती है जो की दूध बनने में एक मह्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है इसकी वजह से दूध कम बनता है और बच्चे भूखे रह जाते है जिसकी वजह से वो बार बार रोते है इसलिए माँ को हर घंटे कम से कम एक सवा गिलास पानी पीना ही है रात को भी ताकि दूध बनने में कमी ना आए और बच्चा भूखा ना रहे कम से कम 6 महीने तक माँ को अपने खान पान और पानी का ध्यान रखना ही चाहिए।

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