आजकल हर कोई वेस्टर्न कल्चर का अनुसरण करने में लगा हुआ है वो चाहे गलत ही क्यों न हो और इंसान की आदत होती है गलत को बहुत जल्दी अपना लेता है, इसी गलत आदत में है फ़ास्ट फ़ूड का अपनाना। बाहर तो बाहर फ़ास्ट फ़ूड अब घर के अंदर भी घुस आया है। परम्परागत थाली की जगह अब फ़ास्ट फ़ूड ने ले ली है। जब से होम डिलीवरी चालू हो गयी है तब से तो घर पर फ़ास्ट फ़ूड का आना बढ़ता ही जा रहा है। अब छोटे क्या, बड़े क्या सब की थाली से रोटी, दाल, सब्जी, रायता, सलाद गायब हो गए है और इनकी जगह पिज़्ज़ा, बर्गर और चाऊमीन जैसे फस्ट फ़ूड ने ले ली है। इसकी वजह से अब पिज़्ज़ा हट, KFC, बर्गर किंग, मैक डोनाल्ड जैसे रेस्टोरेंट की चाँदी हो रही है। इन सबके चलते अब इससे छुटकारा पाना मुश्किल सा लगता है। बच्चो को अब घर का खाना पसंद ही नहीं आता है। बड़े भी अपना जीवन स्तर ऊँचा दिखाने के लिए फास्टफूड का सेवन अधिक करने लग गए है।
समय है फ़ास्ट फ़ूड के खिलाफ कदम उठाने का
हमे इस चलन के कई दुष्परिणाम भी देखने को मिल रहे है जैसे – अब पेट के रोगियों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है, लोगो का और बच्चो का स्वस्थ ख़राब होता जा रहा है, बच्चो के पेट में कीड़ो की समस्या एक बहुत बड़ी प्रॉब्लम होती जा रही है, बच्चो का मानसिक विकास कम हो रहा है, अब बच्चे आलसी होते जा रहे है। अब समय आ गया है इसके खिलाफ कदम उठाने का, नहीं तो आने वाले वक्त में हमे इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे।
हमारा खाना दो बातो से जुड़ा होता है एक पैदावार दूसरा हमारी जलवायु। भोजन और जलवायु के बीच एक समन्वय होता है इसका बिगड़ना हमारे शरीर के लिए नुकसानदेह है। हमने अपने परम्परागत भोजन को त्यागकर फास्टफूड को अपनाकर एक बहुत बड़ा जोखिम ले लिया है, इसके कारण हमारे शरीर को जो विटामिन्स, मिनरल्स चाहिए होते है वो नहीं मिल पा रहे है जिसके कारण हमारा शरीर बीमारियों का घर बनता जा रहा है। एक अच्छे शरीर के स्वास्थ्य के लिए पौष्टिक भोजन की जरूरत होती है जो की फास्टफूड से तो नहीं मिल सकता, इसलिए फास्टफूड के खिलाफ कदम उठाने का समय आ गया है।

फ़ास्ट फ़ूड में प्रयोग होने वाले रसायन सीधे दिमाग पर असर डालते है इसीलिए कई देशो में फास्टफूड पर रोक लगने लग गयी है। ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटैन और अमेरिका जैसे देशो में फ़ास्ट फ़ूड का विरोध होना शुरू हो गया है क्या हमे भारत में भी फ़ास्ट फ़ूड का विरोध नहीं करना चाहिए और अपनी परम्परागत थाली को वापिस अपने घर में नहीं लाना चाहिए। अगर हमे स्वस्थ रहना है, निरोगी रहना है तो हमे इसका विरोध करना ही होगा।
मेरी राय
हमारे भारत में कई राज्य है जहाँ तरह तरह के स्वादिष्ट और पोषक तत्वों से भरपूर भोजन बनता है जैसे आप इडली, डोसा और सांभर को ही ले लो, ये साउथ का सबसे चर्चित भोजन है जो की आज पूरे भारत में खूब खाया जाता है। यह पोषक तत्वों से भी भरपूर है क्योकि इसमें तरह तरह की सब्जियाँ डाली जाती है और खाने में, स्वाद में लाजवाब होता है। शायद ही कोई ऐसा होगा जिसे ये पसंद नहीं होगा हमे ऐसे भोजन करने चाहिए। आज कल तो यूट्यूब पर हर राज्य, देश में बनने वाले खाने की रेसिपी मिल जाती है जिसे देखकर आप आराम से उसे बना सकते हो।
रेस्टोरेंट वालो से भी यह आग्रह करना चाहूंगा की वो फास्ट फूड को ना बनाये बल्कि हमारे भारत में इतनी सारी स्वादिष्ट और पोषक तत्वों से भरपूर रेसिपीज़ है उन्हे बनाये और अपने देशवासियो को स्वस्थ रखने में सहयोग दे। पर्यटन स्थल में भी जहाँ पर लोग रुकते है, होटल आदि में वहाँ पर उस जगह का पारम्परिक भोजन ही परोसे और उसका महत्व बताए इससे लोगो को वहाँ के भोजन के बारे में तो पता चलेगा ही साथ ही साथ स्वस्थ भी रहेंगे। इसमें सबसे पहले हमे ही आगे आना पड़ेगा क्योकि जब फ़ास्ट फ़ूड की मांग कम होगी तभी यह रेस्टोरेंट में बिकना बंद होगा।
Say No To Fast Food, For Good Health

Pingback: नाखूनों की देखभाल कैसे करे – How To Take Care Of Nails