माँ और बच्चे का रिश्ता बहुत ही अलग और अनमोल होता है वही सबसे ज्यादा अपने बच्चे से जुडी होती है बच्चे की हर हरकत पर उसकी नजर होती है। वैसे तो माँ जानती है की उसके बच्चे को कब किस चीज़ की जरूरत है पर फिर भी बहुत कुछ होता है जो वो जानना चाहती है ताकि अपने बच्चे की अच्छे से देखभाल कर सके खास कर जो पहली बार माँ बनी हो या बनने वाली हो। इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से हम आपको पूरी जानकारी देने की कोशिश करेंगे की पहली बार माता-पिता बनने पर नवजात शिशु की देखभाल कैसे करें?
कई बार बच्चे बहुत रोने लगते है हमे लगता है उन्हे कुछ परेशानी है पर हो सकता है उन्हे भूख लगी हो या कई बार पेट में गैसे भी बन जाती है, कई बार पोट्टी करने से पहले भी उनका बर्ताव अलग हो जाता है तो हमे हर पहलू को चेक करना उसे समझना पड़ता है की आखिर माज़रा क्या है —
नवजात शिशु की देखभाल करने के तरीके
नवजात शिशु का वजन
नवजात शिशु का वजन 2.8 से 3.4 kg के आस पास होता है। जन्म के शुरुवात में बच्चे का वजन 5 से 7 परसेंट कम हो जाता है इससे डरना नहीं चाहिए क्योकि जैसे जैसे बच्चा अपनी माँ का दूध ठीक से भर पेट पीने लगता है तो वजन बढ़ने लग जाता है ।
ध्यान रहे : 5 – 7 परसेंट वजन गिरने के बाद भी अगर बच्चे का वजन गिरता ही जा रहा है 10 -15 दिन में भी बढ़ नहीं रहा है तो डॉक्टर को अवश्य दिखाए। 
स्तनपान करवाना
नवजात शिशु की माँ को हर 2 – 3 घंटे में अपना दूध पिलाना चाहिए क्योकि वो एक बार में बहुत कम ही दूध पी पाता है वह दूध पीते समय जल्दी थक जाता है और सो जाता है इसलिए शिशु भूखा ना रहे उसे थोड़े थोड़े अंतराल पर माँ को स्तनपान करवाते रहना चाहिए साथ ही उसे बाहर का दूध नहीं पिलाना चाहिए क्योकि ना तो वह शुद्ध होता है और पचने में भी भारी होता है।
जो बच्चे माँ का दूध पीते है उनको इंफेक्शन कम होता है निमोनिया और डायरिया जैसी बीमारियाँ कम होती है ऐसे बच्चो को डॉक्टर की अवश्यक्ता कम पड़ती है। नवजात शिशु को पहले के 6 महीने सिर्फ माँ का दूध ही पिलाना चाहिए।
नोट: शिशु द्वारा कम दूध पीने पर कई बार बच्चे को बुखार भी हो जाता है पर अगर वो अच्छे से दूध पिलेगा तो ठीक भी हो जाता है इसलिए कोशिश करे की शिशु खूब और अच्छे से माँ का दूध पिए। 
टीकाकरण और समय समय पर स्वास्थ्य जाँच
नवजात शिशु को डॉक्टर की सलाह के अनुसार सभी आवश्यक टीके लगवाने चाहिए ताकि वो आज कल जो बीमारियाँ चल रही है उनसे बच सके साथ ही साथ समय समय पर शिशु की स्वास्थ जाँच भी करवाते रहना चाहिए।
बार-बार हाथ धोने का नियम
जैसे कोरोना महामारी के समय आप बार बार हाथ धोते थे उसी प्रकार बच्चे को गोदी में लेने से पहले या उसे छूने से पहले आपको अपने हाथ अच्छे से धोने चाहिए खासकर जब आप कही बाहर से आए हो। नवजात शिशुओ को बहुत जल्दी बीमारी पकड़ लेती है इसलिए कुछ सावधानी रखने से हम उन्हे उन बीमारियों से बचा सकते है।
ध्यान रहे : जो नवजात शिशु अपनी माँ का दूध पीता है और शिशु को लेने से पहले अगर आप हमेशा अच्छे से हाथ धोते है तो शिशु को बीमारियों से बहुत हद तक बचाया जा सकता है।
शिशु की साफ सफाई
नवजात शिशु को या यु कहे 6 – 8 माह से कम उम्र वाले बच्चो को रोज नहलाने की आवश्यकता नहीं होती है हफ्ते में तीन बार नहलाना काफी होता है पर उन्हे रोज किसी मुलायम कपड़े से स्पॉन्ज (साफ) अवश्य करे ताकि वो ताजगी महसूस करे।
ध्यान रहे :बच्चे का जब तक नैवेल कोड ना हट जाए तब तक उसे नहलाए नहीं स्पॉन्ज कर सकते हो। 
बच्चे की मालिश और सावधानी
नवजात शिशु की मालिश एकदम से शुरू नहीं करनी चाहिए जब बच्चा 3 – 4 महीने का हो जाए तब हल्के हाथ से मालिश करनी चाहिए ताकि उसकी हड्डियाँ मजबूत बन सके ध्यान रहे की मालिश करते समय ज्यादा जोर ना लगाए।
शिशु के नाखूनो का ध्यान
शिशु के नाखुनो का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी है अक्सर बच्चे अपने चेहरे पर अपना हाथ बार बार ले जाते है इस स्थिति में अगर उनके नाख़ून बड़े होंगे तो उनके चेहरे पर चोट लगने का डर बना रहेगा इसलिए समय समय पर नाखून काटते रहे। 
डायपर का प्रयोग
आज कल लोग अपना काम बचाने के चक्कर में शिशु को हमेशा डायपर पहना कर रखते है जिससे उसकी स्किन पर लाल रेसिस आ जाते है और वो परेशान हो जाता है इसलिए हो सके तो दिन में डायपर का प्रयोग ना करे केवल रात में ही डायपर पहनाए। डायपर को ज्यादा गीला ना रहने दे जब भी डायपर लगाए तो पहले शिशु के उस हिस्से पर बेबी क्रीम अवश्य लगा दे।
खिलौनों को साफ रखे
छोटे बच्चे अक्सर हर चीज़ को मुँह में लेते रहते है फिर वो चाहे खिलौने हो या कुछ और जिससे उनके शरीर में बैक्टीरिया जाने का डर बना रहता है। हमे हमेशा शिशु के पास साफ खिलौने रखने चाहिए जो की बच्चो के लिए सुरक्षित पदार्थ से बने हो।
बच्चे को डॉक्टर की जरूरत कब नहीं होती है?
- अगर नवजात शिशु का वजन कम हो रहा हो क्योकि शुरूवात में वजन कम होना नार्मल है।
- अगर बच्चा दूध पीने के बाद 5 – 6 बार पेशाब कर रहा है तो इसका मतलब की बच्चा अच्छे से दूध पी रहा है।
- नवजात शिशु अगर दिन में 4 – 5 बार पोट्टी करता है या 2 – 3 दिन पोट्टी नहीं करता है तो ये दोनों ही चीजे नार्मल है इसमें घबराने की आवश्यकता नहीं है।
- बच्चे का मुँह से दूध निकालना और पेट में गैस बनना नार्मल है।

बच्चे को कब डॉक्टर की आवश्यकता होती है?
- बच्चा अगर सफेद, नीला या पीला दिख रहा है।
- बच्चे का तापमान 100 से ऊपर है।
- साँस 50 – 60 बार से कम ले रहा है।
- बच्चे को उल्टी (दूध निकालते समय) के समय अगर खून आ रहा है।
- पोट्टी में खून आ रहा है या पानी जैसी पोट्टी कर रहा है।
