सिंघाड़े की बेल होती है जो पानी पर तैरती रहती है। इसमें सफेद रंग का फूल आता है। सिंघाड़े का बाहरी हिस्सा हल्का कठोर होता है। कठोर भाग को हटाने पर सफेद रंग का बीज निकलता है, इसी बीज को कच्चे रूप में और पकी अवस्था में खाने में उपयोग में लाया जाता है। सिंघाड़ा खाने में स्वादिष्ट, पचने में भारी, वातकारक, कफनाशक और वीर्य वर्धक होता है। पित्तविकारों की चिकित्सा में सिंघाड़ा बहुत उपयोगी माना जाता है। आज हम इस ब्लॉग के माध्यम से सिंघाड़े में पाए जाने वाले पोषक तत्वों और सिंघाड़ा सेवन के फायदे जानेंगे।
सिंघाड़े में पाए जाने वाले पोषक तत्व कौन से है?
सिंघाड़े में कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते है जैसे –
जल (Water)
वसा (Fat)
प्रोटीन (Protein)
सोडियम (Sodium)
लौह तत्व (Iron)
कैल्शियम (Calcium)
जिंक (Zinc)
तांबा (Copper)
कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrates)
पोटैशियम (Potassium)
मैंगनीज (Manganese)
आयोडीन (Iodine)
थायेमिन (Thiamine)
राइबोफ्लेविन (Riboflavin)
विटामिन A, C (Vitamin A, C) जैसे जरूरी विटामिन और मिनरल्स होते हैं।
सिंघाड़ा सेवन के फायदे
- अगर कोई महिला श्वेतप्रदर के रोग से परेशान हो तो उसे लगभग दो हफ्तों तक थोड़ी मात्रा में (4 तोला) सुबह शाम सिंघाड़े के आटे का हलवा खाना चाहिए। इससे श्वेतप्रदर रोग में आराम मिलेगा और शरीर को भी बल मिलेगा।
- जो व्यक्ति धातु दौर्बल्य के रोग से पीड़ित हो उन्हे 3g – 5g सिंघाड़े के आटे को दूध के साथ सेवन करना चाहिए। धातु दौर्बल्य के रोग से पीड़ित व्यक्ति के लिए “सिंघाड़ा” वरदान माना जाता है। इसमें आप इसके आटे का हलवा भी खा सकते है।
- जिन महिलाओ को गर्भ ना ठहरता हो, गर्भाशय कमजोर हो उनके लिए नियमित रूप से सिंघाड़े के आटे का हलवा बनाकर सेवन करना लाभकारी होता है।
- गर्भवती महिलाओ के लिए सिंघाड़े का आटा और हलवा खाना बहुत लाभकारी होता है।

- बच्चे का प्रसव होने के बाद आई शारीरिक दुर्बलता को दूर करने में “सिंघाड़े का हलवा” बहुत लाभकारी होता है।
- सिंघाड़े के सेवन के द्वारा मूत्राशय और यूरिन इन्फेक्शन को ठीक करने में मदद मिलती है। इसके सेवन से पेशाब से सम्बंधित समस्याओ में आराम मिलता है।
- अगर किसी को पेशाब खुलकर ना आता हो या पेशाब करते समय जलन होती हो उन्हे शीतल (नार्मल) जल के साथ सिंघाड़े के आटे का सेवन करना चाहिए।

- रक्त प्रदर के रोगी को सिंघाड़े के आटे की रोटी बनाकर खानी चाहिए। इससे इस रोग में यह नुस्खा बहुत लाभकारी है।
- गर्भवती महिलाएं कई तरह के विटामिन मिनरल्स की गोलिया खाती है जैसे आयरन, कैल्शियम, फोलिक एसिड आदि इन सब दवाइयों की बजाए सिंघाड़े के सूखे बीज का पाउडर बनाकर सुबह शाम 1 – 1 चम्मच गर्म दूध के साथ सेवन करे। इसे लेने के बाद आपको किसी भी विटामिन या मिनरल्स की कमी नहीं होगी और बच्चा भी तंदरुस्त पैदा होगा।
- एनिमिया के रोगियों के लिए भी इसका सेवन काफी लाभदायक होता है। ऐसे लोगो को कच्चे सिंघाड़े खाने चाहिए। इसके सेवन से बहुत जल्दी ही खून बढ़ जाएगा।
- इसमें वसा और कैलोरी की मात्रा कम होती है इसलिए जिन लोगो को अपना वजन कम करना हो उनके लिए इसका सेवन करना लाभदायक होता है।

- डिहाइड्रेशन की समस्या होने पर इसका सेवन बहुत लाभकारी होता है क्योकि इसमें काफी मात्रा में पानी होता है इसलिए सिंघाड़े के सेवन करने से शरीर में पानी की कमी दूर हो जाती है।
- सिंघाड़े में अच्छी मात्रा में कैल्शियम होता है इसलिए इसके सेवन से हड्डियो और दांतो को मजबूती मिलती है।
- जिन महिलाओ को मासिक धर्म ज्यादा आता है या इस दौरान पेडू में बहुत दर्द रहता है उनके लिए कच्चे सिंघाड़े खाना काफी लाभदायक होता है।

- इसके सेवन से शरीर की बढ़ी हुई गर्मी को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। जिन लोगो के पैर के तलवो में, हाथ में जलन रहती हो उन्हे इसके कच्चे फल का सेवन अवश्य करना चाहिए।
- थायराइड के रोगी के लिए सिघाड़े का सेवन करना बहुत लाभकारी होता है क्योकि इसमें अच्छी मात्रा में मैंगनीज और आयोडिन पाया जाता है।
- इसमें विटामिन C अच्छी मात्रा में पाया जाता है जो की त्वचा की चमक के लिए काफी अच्छा होता है। इसके सेवन से कील मुँहासे, झाईया आदि साफ या कम हो जाती है। उम्र के त्वचा पर असर को कम करने में भी मददगार होता है।

- इसका सेवन बालो के लिए भी बहुत लाभकारी होता है। इसके सेवन से बालो की मजबूती को बनाए रखा जा सकता है।
- इसके सेवन से अपच की समस्या में लाभ मिलता है साथ ही पेट के रोगो और आंतो के रोगो में इसका सेवन करना फायदेमंद रहता है।
- अनिद्रा के रोगियों को भी कच्चे सिंघाड़े का सेवन करना चाहिए लाभ मिलेगा।
सिंघाड़े खाने से सम्बंधित सवाल / जवाब
सिंघाड़े की तासीर ठंडी, शीतल होती है, जिसके कारण ताजा सिंघाड़ा खाने से प्यास शांत हो जाती है।
- सिंघाड़े के आटे का सेवन कम मात्रा में ही करना चाहिए क्योकि यह पचने में भारी होता है ज्यादा मात्रा में सेवन करने से दुष्परिणाम भुगतने पड़ सकते है।
- पथरी के रोगी को इसका सेवन बहुत कम मात्रा में या फिर इसके सेवन से बचना चाहिए।
- ठंडी प्रकृति वाले लोगो और वायु विकार रोगियों को इसका कम मात्रा में सेवन करना चाहिए।
कुछ कारणों से स्त्रियों की योनि से सफेद पानी आने लग जाता है, जिसमे से बहुत बदबू भी आती है। इससे उनका शरीर कमजोर हो जाता है। वह बहुत थका हुआ महसूस करने लगती है जिसे श्वेत प्रदर रोग कहते है। अगर योनि से लाल रंग का रिसाव होता है तो इसे रक्त प्रदर रोग कहते है।

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