आजकल, अधिकांश लोगो को एक ऐसी बीमारी का सामना करना पड़ रहा है जो उनकी जिंदगी को पूरी तरह से बदल देती है जिसे “दमा / अस्थमा” कहते है। सर्दियो के मौसम में तो दमा के मामले बहुत ज्यादा बढ़ जाते है। अगर दमा के साथ जी रहे लोग सावधानियां बरतेंगे तो वो भी स्वस्थ रहकर मौजूदा मौसम का मजा ले पाएंगे।
इस ब्लॉग पोस्ट में, हम दमा / अस्थमा (Asthma) – कारण लक्षण और बचाव के विभिन्न तरीकों की चर्चा करेंगे। हम आपको इस बीमारी के सामान्य लक्षणों से लेकर उसके चिकित्सा उपायों और बचाव के उपायों तक की जानकारी इस लेख के माध्यम से देंगे ताकि आप और आपका परिवार स्वस्थ जीवन जी सकें।
अस्थमा / दमा (Asthma) क्या है?
दमा एक ऐसा रोग है जिसमें रोगी की सांस की नलियों में सूजन आ जाती है, जिसकी वजह से रोगी को सांस लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। दमा का प्रमुख कारण वायुमंडलीय प्रदूषण और एलर्जी होते हैं, लेकिन दमा की समस्या अन्य कई कारणों से भी हो सकती है जैसे धूल (घर या बाहर की ), रसोई का धुआँ, नमी, घर में सीलन, मौसम में बदलाव, सर्दी – जुकाम, धूम्रपान, मानसिक चिंता आदि प्रमुख होते है।
अस्थमा / दमा (Asthma) का क्या कारण है?
परिवार में अगर किसी सदस्य को दमा रहा हो, तो दूसरे को दमा होने का खतरा होता है, इसके अलावा दमा की समस्या को बढ़ाने वाले तीन प्रमुख कारण होते है –
- घर के अंदर के कारण
- घर के आसपास या बाहरी कारण
- कुछ अन्य कारण
1. घर के अंदर के कारण
अगर घर में या घर के आस पास अधिक धूल मिट्टी होती है तो उसमें उपस्थित हानिकारक कण दमा का कारण बन सकते है साथ ही अगर आपने कोई जानवर पाला हुआ है तो जानवरो के शरीर पर उपस्थित एलर्जन भी दमा का कारण हो सकता है।
2. घर के आसपास या बाहरी कारण
- पौधो के फूलो में पराग के कण पाए जाते है, जो एलर्जी के प्रमुख कारक है।
- कुछ लोगो में कुछ खाद्य पदार्थो से एलर्जी या कुछ खाद्य पदार्थो के सेवन के कारण भी दमा की समस्या देखने को मिलती है जैसे अनेक लोगो को मक्का, दही, चावल, ठंडा जल और आइस क्रीम आदि खाने से दमा की समस्या बढ़ जाती है।
- धूप के लंबे समय तक इस्तेमाल के कारण भी दमा हो सकता है। धूप और धूल के कणों का संपर्क फेफड़ों के साथ होने पर फेफड़ों में सूजन आ सकती है, जिससे सांस लेने में मुश्किलें आ जाती हैं।
3. अन्य कारण
इसके अंतर्गत बाहरी वातावरण में उपस्थित वायरस और जीवाणुओं का संक्रमण, कुछ दवाए, तनाव से ग्रस्त रहना, मौसम में बदलाव आदि के कारण दमा की समस्या बढ़ जाती है।
अस्थमा / दमा (Asthma) के क्या लक्षण है?
जब दमा के ऊपर लिखित कारण मरीज के सम्पर्क में आते है तो दमा वाले मरीज की सांस की नलिकाए संकुचित हो जाती है। सांस की नलिकाओं में लालिमा और सूजन आ जाती है और उनमें बलगम बनने लगता है। इन सभी के कारण दमा के ये लक्षण पैदा होते हैं जैसे :-
- सांस लेने में कठिनाई होने लगती है, जो दौरो के रूप में तकलीफ देती है।
- बहुत अधिक खांसी होने लगती है। खांसी रात में गंभीर हो जाती है।
- अक्सर जुकाम की शिकायत होने लगती है।
- अधिक कफ के कारण सांस लेते समय गले से सीटी जैसी आवाज आने लगती है।
- सीने में कसाव और जकड़न महसूस होती है।
अस्थमा / दमा से बचने के लिए बचाव ही बेहत्तर है - Prevention is the Best Way to Avoid Asthma
- मौसम परिवर्तन के समय सांस की तकलीफ बढ़ जाती है इसलिए मौसम बदलने के एक महीना पहले ही मौसम के अनुसार अपना ध्यान रखने के लिए सजक हो जाना चाहिए।
- इनहेलर और दवाएं चिकित्सक विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार ही लेनी चाहिए किसी करीबी के कहने से अपने आप किसी भी दवाई के सेवन से बचना चाहिए।
- ऐसे कारक जिनकी वजह से सांस की तकलीफ बढ़ती है उनसे बचकर रहना चाहिए “बचाव ही सुरक्षा है“।
- ऐसे खाद्य पदार्थ जिनके सेवन से सांस की परेशानी बढ़ती है उनके सेवन से बचना चाहिए जैसे दही, ठंडा पानी या पदार्थ, चावल आदि।
- दमा के रोगियों के बिस्तर की रोज अच्छे से सफाई होनी चाहिए ताकि उसमें धूल के कण ना रहे।
- व्यायाम करने से पहले कौन सा व्यायाम आपके लिए उपयुक्त है इसके लिए चिकित्सक की सलाह अवश्य ले।
- अगर आपको बहुत अधिक सांस की दिक्कत है तो मेहनत का कार्य करने से बचना चाहिए या इन्हेलर लेने के बाद ही कार्य करना चाहिए पर बहुत ज्यादा नहीं।
- दमा से पीड़ित बच्चो को लंबे रोयेदार कपड़े नहीं पहनाने चाहिए साथ ही उन्हे रोयेदार खिलौने खेलने को नहीं देने चाहिए।
- अगर आपके आसपास या घर में पुताई व पेंट का कार्य चल रहा हो तो दमा रोगियों को उससे दूर रहना चाहिए।
अस्थमा / दमा का इलाज क्या है? - What is the Treatment for Asthma?
दमा पूरी तरह से ठीक नहीं होता है, लेकिन इसे नियंत्रण में रखा जा सकता है। इस प्रकार दमा के साथ जी रहा व्यक्ति सामान्य और सक्रिय जीवन जी सकता है।
1). इनहेलर थेरेपी :
दमा का उपचार आमतौर पर इनहेलर से होता है, जो दमा की दवा लेने का सबसे सुरक्षित तरीका है ऐसा इसलिए क्योंकि इनहेलर के जरिए दवा व्यक्ति के फेफड़ों तक पहुंचती है और यह तुरंत असर दिखाना शुरू कर देती है। यह ध्यान देने योग्य है कि इनहेलेशन थेरेपी में सिरप और टैबलेट्स की तुलना में 10 से 20 गुना तक कम खुराक की जरूरत होती है और यह अधिक प्रभावी होती है।
इनहेलर दो प्रकार के होते हैं
i). रिलीवर इनहेलर
ऐसे इनहेलर जल्दी से सांस नलिकाओं की मांसपेशियों का तनाव कम करते हैं और तुरंत असर करते हैं। इनको सांस फूलने पर लेना होता है।
ii). कंट्रोलर इनहेलर
ये इनहेलर सांस की नलिकाओं में सूजन को घटाकर उन्हें अधिक संवेदनशील बनने से रोकते हैं और दमा के गंभीर दौरे के खतरे को कम करते हैं। इनको लगातार अपने समय पर लिया जाता है।
2). टैबलेट की आवश्यक्ता
दमा के उपचार में ज्यादातर लोगो को टैबलेट्स की जरूरत नहीं पड़ती है क्योंकि इनहेलर सामान्यतः अच्छी तरह से कार्य करते हैं। दमा से पीड़ित व्यक्ति को कुछ विशेष परिस्थिति में इनहेलर के अलावा टेबलेट लेने की भी सलाह दी जाती है। कभी-कभी दमा के दौरे को कम करने के लिए स्टेरॉयड टैबलेट थोड़े वक्त के उपचार के लिए दी जाती है। कई बार कुछ लोग इनहेलर का प्रयोग ठीक प्रकार से नहीं करते हैं जिसके कारण इनहेलर से दवा ठीक प्रकार से सांस मार्गो में नहीं पहुंच पाती तो उन्हे दवाई देनी पड़ जाती है। अपने इनहेलर का ठीक प्रकार से इस्तेमाल करना अपने डॉक्टर से अवश्य सीखे।
दमा रोगी से सम्बंधित ध्यान देने योग्य बातें
- कम प्रदूषण वाली जगह पर रहना शुरू करे, जहा आपको शुद्ध वायु मिले यहां पर आपका अस्थमा 20% – 30% ठीक हो जाएगा।
- बच्चे हो या बुजुर्ग सभी को अपने फेफड़ों को मजबूत बनाने के लिए सांस से सम्बंधित प्रणायाम करना चाहिए। इससे आपका रेस्पिरेटरी सिस्टम अच्छा होगा, आपकी सांस की नलिकाएं साफ़ हों जाएँगी।
- बहुत से लोगो को दूध और दूध से बनी चीजों से अस्थमा होता है अगर हम इन्हे छोड़ दे तो अस्थमा में काफी फायदा हो सकता है।
- दूध से बनी चीजे लेने से बलगम की समस्या ठीक नहीं होती है। इससे कफ बहुत बढ़ जाता है।
- ऐसे लोगो को केला, कटहल, पका हुआ चुकंदर नहीं खाना चाहिए आप कच्चा चुकंदर खा सकते है। पके हुए चुकंदर से बहुत बलगम बनता है।
- रोज आपको शहद का सेवन करना चाहिए। इसका सेवन आपकी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है खासकर जिन्हे ज्यादा बलगम की समस्या है।
- दमा की दवा हमेशा अपने पास रखें और कंट्रोलर इनहेलर हमेशा समय से ले।
दमा एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जिसे अनदेखा नहीं करना चाहिए। अगर आपको इसके लक्षण मिलते हैं, तो आपको तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए और उनके द्वारा बताए गए सुझावों / उपायों को अपनाना चाहिए। साथ ही, हमें अपने पर्यावरण को स्वच्छ और हरित रखने का भी प्रयास करना चाहिए, ताकि हम स्वस्थ जीवन जी सकें।
आशा करता हूँ की “अस्थमा (Asthma) – कारण लक्षण और बचाव | दमा बचाव ही सुरक्षा है” ब्लॉग पोस्ट आपके काम का होगा और आपको पसंद आया होगा।
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